आई माता जी की अखंड ज्योति
जहाँ दीपक से काजल नहीं,केसर बनती है : श्री आई जी (श्री आई माता जी)
अखंड केसर ज्योत- यह “अखंड केसर ज्योत” पिछले 500 से भी अधिक वर्षों से लगातार जल रही है और इसकी लौ से काजल के स्थान पर केसर प्रकट होता है जो कि मंदिर में माताजी की उपस्थिति का अकाट्य प्रमाण है।
आई माता जी की झोपड़ी- मंदिर परिसर के प्रथम तल पर आई माताजी की झोपड़ी को संरक्षित किया गया है। यह वही झोपड़ी है जहाँ आई माताजी निवास करते थे।
चित्र प्रदर्शनी- मंदिर के एक भाग में आई माताजी के संपूर्ण जीवन चरित्र को दर्शाने वाली भव्य प्रदर्शनी है। यहाँ आई माताजी के जीवन वृत्त एवं विभिन्न घटनाओं को अनेक चित्रों के माध्यम से समझाया गया हैं। प्रदर्शनी के अंतिम छोर पर परम भक्त दीवान रोहितदास की धूणी है जहाँ वे तपस्या करते थे।
संग्रहालय(म्यूजियम)- मंदिर परिसर के एक भाग में विशाल एवं भव्य संग्रहालय है। यहाँ सैंकडों साल पुरानी अनेकों अनेक वस्तुएं, बर्तन, वाद्य यन्त्र, पुराने दस्तावेज़, फर्नीचर , धातु की मूर्तियाँ, कलाकृतियाँ, पुरानी तकनीकी वस्तुएं आदि संरक्षित हैं। इसी म्यूजियम में अनेक प्रकार के हथियार, जैसे तलवारें, कटार, भाले, ढाल आदि भी संरक्षित किये गए हैं। वर्तमान दीवान श्री माधोसिंह जी के द्वारा करवाए गए इस संरक्षण को देखकर निश्चित रूप से आप कह उठेंगे- आश्चर्यजनक! अदभुत!! अतुल्य!!!
रावटी झरोखा- यह झरोखा मंदिर परिसर के द्वार के पास ऊपर बना हुआ है। यह पत्थर पर नक्काशी का सुन्दर उदाहरण है। इस झरोखे के अन्दर की तरफ कांच की अत्यंत सुन्दर कारीगरी की गयी है। बेजोड़ स्थापत्य कला युक्त यह झरोखा बरबस ही सबका ध्यान अपनी तरफ आकर्षित करता है।
वाड़ी महल-यह महल दीवान साहब का निवास स्थान है। इसका निर्माण लगभग 300 वर्षों पहले हुआ था। इस महल की बनावट भी बेजोड़ है। \
कैसे पहुचे:
बिलाडा क़स्बा जोधपुर से ४५ किमी दूर जयपुर-जोधपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित है. जयपुर, अजमेर, जोधपुर से यहाँ आसानी से पहुंचा जा सकता है. सिरवी समाज की प्रमुख आराध्य देवी है.